श्री हनुमान आरती – Hanuman aarti pdf in hindi

Hanuman aarti pdf in hindi

Hanuman aarti pdf in hindi : हनुमान आरती भगवान हनुमान को समर्पित है और उनकी महिमा की स्तुति करने वाली प्रमुख हिंदू आरतियों में से एक है। यह आरती हिन्दू धर्म के भक्तों के बीच में बड़े प्रसिद्ध है और हनुमान जी की पूजा और आराधना के समय प्रायः गाई जाती है।

हनुमान आरती का पाठ करने से भक्त भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से समस्त कष्टों और संकटों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। इस आरती में हनुमान जी के गुणों, भक्ति, और आदरणीय स्वरूप की महिमा की जाती है और उनके प्रति भक्तों के आदरणीय भावना को प्रकट करती है।

हनुमान आरती का पाठ अक्सर हनुमान मंदिरों और भक्तों के घरों में किया जाता है, खासकर मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान जी के व्रत के दिनों में। यह आरती भक्तों के दिल को सुखद और शांति देती है और उन्हें दिव्य साक्षात्कार का अनुभव कराती है।

हनुमान आरती का पाठ करने से भक्त की मानसिक और आत्मिक स्थिति में सुधार होता है और वे हनुमान जी के आशीर्वाद से अपने जीवन को धार्मिक और मानवता के मार्ग पर चलाते हैं।

“हनुमान आरती” एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रार्थना है जो भक्तों को हनुमान जी के प्रति उनकी भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करने का माध्यम प्रदान करती है और उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करती है।

 

हनुमान आरती (Hanuman aarti pdf in hindi) पूजा विधि:

सामग्री:
1. हनुमान आरती का पाठक – आरती का पाठ करने वाला व्यक्ति
2. आरती की थाली – थाली जिस पर दीपक, दूप, कुमकुम, चावल, पुष्प, तुलसी पत्तियाँ, और बीलव पत्तियाँ होती हैं
3. दीपक – घी का दीपक और मैचिस
4. दूप – धूप की दिव्या
5. पुष्प – फूलों का माला या पुष्प
6. पूजा की थाली – अगर आप विशेष रूप से पूजा के लिए थाली रखना चाहते हैं
7. जल – शुद्ध जल

पूजा विधि:

1. पूजा स्थल का तैयारी: हनुमान जी की पूजा के लिए एक साफ और शुद्ध स्थल का चयन करें। उसे सजाने के लिए एक आसन या चटाई रखें।

2. पूजा की थाली की तैयारी: आरती की थाली पर दीपक को घी से भरें और माचिस की मदद से इसे प्रज्वलित करें। इसके बाद, धूप की दिव्या भी जलाएं।

3. हनुमान आरती का पाठ करें।

4. पुष्प और दूप की अर्चना: पाठ के बाद, पुष्पों का हनुमान जी के चरणों में अर्चना करें और धूप की दिव्या को भी चरणों के सामने प्रज्वलित करें।

5. जल अर्पण: अब एक दीपक के साथ शुद्ध जल की अर्पण करें, यानी उसे आरती करने वाले व्यक्ति के द्वारा जल की बूँदें आरती के अवसर पर हनुमान जी के पैरों पर डालें।

6. प्रसाद: अखंड भोग के रूप में व्रत से बने खाद्य पदार्थों को हनुमान जी को अर्पण करें और फिर वो प्रसाद के रूप में सभी को बाँटें।

7. आरती के निमित्त गाने: आरती के पाठ के बाद व्रती या व्रत समर्थकों के साथ हनुमान जी की आरती गाएं और उनकी महिमा का गान करें।

8. पूजा समापन: पूजा समापन करने के बाद, उपस्थित व्यक्तियों को प्रसाद दें और हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करें।

इस तरह, हनुमान आरती की पूजा विधि को पालन करके आप हनुमान जी के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन कर सकते हैं।

 

Shree Hanuman Aarti – श्री हनुमान जी की आरती

 

 

श्री हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा पाठ में प्रमुखता से गाये जाने वाली श्री हनुमान आरती है।

 

॥ आरती ॥

 

आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे । रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे । सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे । लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे । अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे । दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें । जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई । आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे । बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई । तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

॥ इति संपूर्णंम् ॥

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