ॐ जय जगदीश हरे आरती – Aarti: Om Jai Jagdish Hare

Om Jai Jagdish Hare

Om Jai Jagdish Hare – हिन्दू धर्म के अनुसार, भगवान विष्णु की वंदना एवं प्रार्थना का एक अद्भुत मंत्र है “ओम जय जगदीश हरे”. यह मंत्र भक्तों के द्वारा पूरे भारत में गाया जाता है और इसकी गहरी मान्यता है।

“ॐ जय जगदीश हरे” यह आरती हिन्दू धर्म में प्रसिद्ध एक प्रार्थना है जिसे भगवान की पूजा और आराधना के समय गाई जाती है। यह आरती विष्णु भगवान के रूप में पूजा जाता है और इसका मतलब होता है “हे जगदीश्वर (जगत के स्वामी) हे भगवान, तुमको जय हो।”

इस आरती में भगवान की महिमा, महत्व, और उनके गुणों की स्तुति की जाती है। यह आरती विशेष रूप से भक्ति और आराधना के समय उपयोग की जाती है और भगवान की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना का एक माध्यम होती है।

इस आरती के पठन से भक्त भगवान की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं और अपने जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रयास करते हैं। इस आरती का पाठ करने से भक्त का मानसिक और आत्मिक स्थिति में सुधार होता है और वे भगवान की आगमन का स्वागत करते हैं।

“ॐ जय जगदीश हरे” आरती भक्ति और श्रद्धा की भावना को व्यक्त करने का माध्यम है और हिन्दू धर्म के सभी आयुष्यकाल में इसका महत्वपूर्ण स्थान है।

 

 

आरती – Aarti: Om Jai Jagdish Hare

“ओम जय जगदीश हरे” मंत्र का अर्थ है “हे जगदीश (विष्णु), हे विश्व के नाथ, हे सर्वोच्च परमात्मा, आपको प्रणाम है।” इस मंत्र के द्वारा भक्त भगवान विष्णु को स्तुति करते हैं जो जगत के सृजनहार्ता एवं पालक हैं।

उपासना के लाभ

“ओम जय जगदीश हरे” मंत्र के नियमित जाप से भक्त के जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है। इसके माध्यम से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और वह सभी प्रकार की संकटों से मुक्त होता है। भक्त को मानसिक शांति, धैर्य, और साहस मिलता है जो उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफल बनाते हैं।

उपासना के लिए विधि

“ओम जय जगदीश हरे” मंत्र की उपासना के लिए विशेष विधि है जो निम्नलिखित है।

  1. सबसे पहले, एक शुद्ध और पवित्र स्थान चुनें जहां आप उपासना करेंगे। एक आसन पर बैठें और ध्यान केंद्रित करें।
  2. ध्यान करते हुए, मन में शांति बनाएं और भगवान विष्णु को समर्पित होकर “ओम जय जगदीश हरे” मंत्र का जाप करें।
  3. इस मंत्र के जाप के दौरान एक दिया जलाएं और प्रार्थना करें कि भगवान आपके जीवन में सुख, समृद्धि, और समाधान प्रदान करें।

 

आरती – Om Jai Jagdish Hare

 

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का, स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

 

॥ बोलो विष्णु भगवान की जय ॥

 

इस प्रकार, “ओम जय जगदीश हरे” मंत्र का महत्व और उपास्यता भक्तों के जीवन में गहरे प्रभाव का होता है और उन्हें भगवान के साथ संबंध स्थापित करने में सहायता करता है। इसलिए, हम आपको इस पवित्र मंत्र का नियमित जाप करने की सलाह देते हैं और उससे जुड़े हुए अनुभवों को साझा करके अपने जीवन को समृद्धि और समाधान से भर दें।

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