Laxmi Mata Aarti – भक्तजन अक्सर भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माता लक्ष्मी का आह्वान करते हैं, खासकर साप्ताहिक दिनों शुक्रवार, गुरुवार, वैभव लक्ष्मी व्रत और दीपावली में लक्ष्मी पूजन के दिन, जिसमें भक्त माता लक्ष्मी की आरती करते हैं।
लक्ष्मी माता की आरती का परिचय
“ॐ जय लक्ष्मी माता” के रूप में जानी जाने वाली लक्ष्मी माता की आरती धन और समृद्धि की देवी के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए एक अनमोल हिंदू परंपरा है। यह आरती श्रद्धालुओं द्वारा शान्तिपूर्वक प्रार्थना की जाती है, जो धर्मिक उत्सवों में और विशेष रूप से दिवाली और शुक्रवार को, जो देवी की पूजा के लिए शुभ माना जाता है, अनुष्ठान करते हैं।
लक्ष्मी माता की आरती का महत्व
लक्ष्मी माता की आरती हिंदू संस्कृति और आध्यात्मिकता में गहरा महत्व रखती है। इसे श्रद्धा भाव से रचना करके, भक्त निम्नलिखित आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं:
- धन और समृद्धि: आरती का प्रार्थना करने का मुख्य उद्देश्य धन और आर्थिक स्थिरता प्राप्त करना है।
- आध्यात्मिक विकास: सामग्री लाभ के अलावा, आरती आध्यात्मिक विकास और आंतरिक परिवर्तन को भी बढ़ावा देती है, जो एक समग्र और संतुलित जीवन का मार्गदर्शन करता है।
- बाधाओं का नाश: भक्त देवी की कृपा से अपनी प्रगति को रोकने वाली बाधाओं को दूर करने की आशा करते हैं।
वातावरण की व्यवस्था
आरती करने के लिए एक साफ और शांत स्थान ढूंढें। फूल, धूपबत्ती, और घी से भरी दीपक (दिया) से विशेष चित्र बनाएं।
दीपक की ज्योति जलाएं
दीपक और धूपबत्ती जलाकर अंधकार को दूर करने और सकारात्मकता और शुद्धता की स्थापना के प्रतीक के रूप में जलाएं।
आरती की प्रारंभिकता
देवी की मूर्ति के सामने खड़े होकर लक्ष्मी माता की आरती गाने लगें। दीपक को देवी की ओर घुमाकर धीरे-धीरे झुकाएं। ध्यानित आवाज़ से गाया जाने वाला संगीत ध्यानाकर्षणीय वातावरण बनाता है।
Laxmi Mata Aarti
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
आशीर्वाद की प्राप्ति
आरती को समाप्त करते हुए, लक्ष्मी माता से समृद्धि, सम्पदा, और आध्यात्मिक विकास की कामना करें।
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