निळावंती ग्रंथ pdf – Nilavanti Granth Nilavanti Granth pdf in hindi

Nilavanti Granth Nilavanti Granth pdf

Nilavanti Granth Nilavanti Granth pdf : – निळावंती ग्रंथ, एक रहस्यमयी और प्रेरणादायक पुस्तक है जिसे पढ़कर मनुष्य कल की अनदेखी तथ्यों को समझने में सक्षम बन सकता है। इस ग्रंथ के मंत्रों की शक्ति का आश्चर्यजनक प्रभाव है, जिससे आप अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकते हैं।

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रहस्यमयी ग्रंथ

निळावंती ग्रंथ एक ऐसा रहस्य है जिसे अब तक समझने में मनुष्यों को सफलता नहीं मिली है। इसमें छिपे ज्ञान की गहराईयों में समाहित है, जिसकी समझने की कोशिश करने वाले कई विद्वान भी असफल रहे हैं।

पशु-पक्षी भाषा का ज्ञान

कहा जाता है कि निळावंती ग्रंथ को पढ़ने से आपको पशु-पक्षियों की भाषा को समझने की क्षमता प्राप्त होती है। इससे आप मात्र व्यक्तिगत तरीके से नहीं सोचते, बल्कि प्राकृतिक जीवों के साथ संवाद स्थापित कर सकते हैं।

मंत्रों का महत्व

निळावंती ग्रंथ में दिए गए मंत्रों को सिद्ध करने से आपके लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। यह मंत्र आपके जीवन को नए दिशाओं में ले जा सकते हैं और आप अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकते हैं।

बाधाएं और मिथक

कुछ लोग इस ग्रंथ की शक्ति में विश्वास नहीं करते और ऐसा मानते हैं कि इसका प्रयोग करने से उन्हें समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, यह सिर्फ एक मिथक है और इसका वैज्ञानिक आधार भी है।

 

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नीलावंती की कहानी

“नीलावंती” एक रहस्यमयी ग्रंथ की कहानी है, जो मनुष्य को काल की जानकारी देने का काम करता था। इस ग्रंथ की खोज में बहुत से लोग लग गए, परंतु उनका मार्ग मृत्युपंथ के दिशा में मुड़ गया। ये लोग काल का रहस्य जानने के बजाय इसका अभियांत्रण बन गए थे। ये सभी लोग इस ग्रंथ को सिर्फ उपयोग के लिए जानते थे, लेकिन उनके पास उसका पता नहीं था। उन्होंने अपने अपने तरीकों से इसे ढूंढने का प्रयास किया, पर एक भी सफलता नहीं मिली। काल को नियंत्रित करने की इच्छा उतनी ही प्राचीन है जितनी मनुष्य को काल की समझ है।

जब मनुष्य ने काल के रहस्य को खोज लिया, तो उसने उसे नियंत्रित करने की इच्छा पाली। काल की चुप्पी में छेड़छाड़ करने से उसने इतिहास को बदल दिया। लेकिन यह सत्य है कि इसका मतलब था कि वह खुद भी इस प्रक्रिया में बदल जाएगा। जब उसने समय को पीछे बदलकर कुछ घटनाएं बदल दी, तो आगे का इतिहास भी बदल गया। और इस प्रकार, उसका भी इतिहास उसके साथ बदल गया।

इसी जगह वह ग्रंथ “नीलावंती” का काम शुरू होता है। लोग सोचते हैं कि वे समय को बदल सकते हैं, लेकिन इस ग्रंथ के पठन से उन्हें उस शक्ति का अवगत होता है कि वे समय को अपनी मर्ज़ी से बदल सकते हैं। उन्हें दूसरों का इतिहास भी बदलने की क्षमता प्राप्त होती है। लेकिन यह सब बातें केवल सुनी-सुनाई की बातें हैं, आज तक किसीने उस ग्रंथ को अपनी आँखों से देखा नहीं है, सिर्फ उसके नाम और कारनामों की कहानी सुनी है।

उस ग्रंथ का नाम है “नीलावंती”।  गाँव में जाकर आप किसी बुजुर्ग से पूछेंगे, तो वह आपको नीलावंती के बारे में बताएगा, और आपको यह भी चेतावनी देगा कि उसके पठन से पढने वाले का वंश नष्ट हो जाता है। इसका सबसे महत्वपूर्ण अंश यह है कि इस ग्रंथ को पढने से पढने वाले को पशु-पक्षियों की भाषा की समझ होती है। तंत्रिकों के अनुसार, पशु-पक्षियों का समय मनुष्यों के समय से अलग तरीके से चलता है।

मान्यता है कि मनुष्य के एक दिन का समय चींटियों के लिए कई साल का हो सकता है। और यह भी माना जाता है कि समय को सुक्ष्म रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। ये सब बातें जब समय मिलेगा और इसका पठन करने की कला आएगी, तब जान पाएंगे, क्योंकि यह ग्रंथ उस मानवीय लिपि में नहीं है, बल्कि पैशाच लिपि में लिखा गया है।

 

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पैशाच लिपि अनोखी व्याकरण और जटिलता के साथ एक आदमी को इस विश्व में समझना असंभव है। यह कहना भी सदियों से किया आ रहा है कि हिमालय की गुफाओं और कंधराओं में बैठे साधु-मुनियों में से कुछ को इस रहस्यमयी लिपि की समझ होती है, लेकिन उनकी स्थिति और स्थान बहुत ही गूंजते रहते हैं।

यह स्पष्ट है कि यह ग्रंथ कैसा है, और यह भी किसी को पता नहीं है कि यह कहाँ उपलब्ध है, और उसका पठन विधि क्या हो सकता है। हालांकि, इस ग्रंथ से क्या प्राप्त किया जा सकता है, यह जानकर किसी को भी उसके खोज में रुचि हो सकती है, जो अलौकिक कार्यों में विशेष रूचि रखते हैं।

ग्रंथ की खोज का पहला कदम यह है कि ग्रंथ की खोज कहाँ से शुरू करें, जिन लोगों ने इसके बारे में सुना है, उन्होंने भी उसे सुना है जिन्होंने इसके बारे में केवल सुना ही है, लेकिन देखा नहीं है। और ऐसी श्रृंखला न कहें तो बेहतर है। “नळावंती” के बारे में एक और चर्चा थी कि वह आदमी आज भी जीवित है, उसे लोग “बाजिंद” कहते हैं और वह महाबळेश्वर के जंगलों में निवास करते हैं।

कहते हैं कि उनकी आयु १००० साल से भी अधिक है। एक आसान तरीका है कि पहले “बाजिंद” की खोज की जाए, जो उसे जानते हैं, और जिनके पास से जानकारी मिलती है। उनके आधार पर “ती” की खोज की जाए, और यह एक बात आपको बता देना चाहिए कि जो लोग “नीळावंती” के पीछे थे, चाहे वो किसी भी काल में हों या किसी अन्य स्थान से हों, वे सभी किसी समय महाबळेश्वर के जंगलों में दिखाई दिए हैं।

 

उनमें से केवल दो लोगों को बाद में फिर से देखा गया, और वे भी मृत थे, उनकी संख्या कई सैकड़ों में हो सकती है, कि क्या हुआ उसका कोई नहीं जानता, क्योंकि उनके शरीर का कोई पता नहीं था, ना ही कोई अवशेष।

अब इस दावे के बाद, क्या आप अब तक इच्छित हैं कि आप उस विशिष्ट पुस्तक की खोज करने के लिए जाएं? आइए, मैं आपको उस अंतिम व्यक्ति के बारे में बताता हूँ जिन्होंने नीलावंती की खोज की थी।

संभवत: आपको कोई ऐसा आविष्कार मिल सकता है जो नीलावंती की खोज में आपकी मदद कर सकता है। यह सब कुछ काफी पुराने समय की बात है। एक समय की बात है, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में एक आदमी रहता था, उसकी एक पत्नी और एक छोटी सी बेटी भी थी।

जब वह बेटी पांच साल की हो गई, तो उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई। इसके बाद, बेटी का नाम नीलावंती था। नीलावंती की माँ की मृत्यु के बाद, नीलावंती के पिता ने उस गांव को छोड़ दिया और नीलावंती को साथ लेकर दूसरे गांव की यात्रा की। नीलावंती के पिता को आयुर्वेद का विशेष ज्ञान था, और वह उसे सिखाते रहे। नीलावंती भी अपने पिता से आयुर्वेदिक ज्ञान प्राप्त करती रही।

निलावंती विशेषता थी कि वह पेड़-पौधों, पशुओं और पक्षियों की भाषा समझ सकती थी। उसके स्वप्न में शैतान आते और भूमि के नीचे छिपे धन-दौलत के बारे में बताते थे, लेकिन वह नहीं उठाती थी, क्योंकि उसके पिता जी ने उसे नेक संस्कार दिए थे। वह पीपल के पत्तों पर लिखे मंत्रों को एक किताब में लिख लेती थी। जब वह बड़ी हो गई, तो उसके स्वप्न में आनेवाले भूतप्रेतों की बातें अचानक हकीकत में उभरने लगी। उसे पता चला कि वह एक श्रापित यक्षिणी है जिसे एक श्राप के कारण दूसरी दुनिया में फंसे रहना पड़ रहा है।

वह अपने पिता को बताती है और उनके पिता उसे यह समझाते हैं कि वह जा सकती है। व्यापारी से मिलने के बाद, उसे उस दूसरे गाँव जाने के लिए कहती है जहाँ उसे एक विशेष पेड़ का पता चलेगा जो उसे उसकी दुनिया में वापस ले जाने में मदद करेगा। व्यापारी, उसकी शर्त पर, उसके साथ जा चला जाता है और उसे उस विशेष गाँव ले जाता है।

जैसे-जैसे वह आगे बढ़ती है, उसे शैतानी योजना का पता चलता है जो उसकी तंत्रसाधना के दौरान आने वाली है। जिस दिन वह तंत्रमंत्र करने के लिए बरगद के पेड़ के नीचे जाती है, वह गाँव वाले उसे गाय की बली देते हुए देखते हैं, जिससे व्यापारी को पूरी घटना का पता चलता है। उसके बाद, जब निलावंती फिर से तंत्रसाधना करने निकलती है, व्यापारी उसका पीछा करता है और उसे तंत्रसाधना करते हुए पकड़ लेता है।

उसके बाद एक दिन, एक शैतान उसके पास आकर उसे बताता है कि कैसे वह दुनिया के दरवाजे तक पहुँच सकती है। उसके प्रत्येक कदम में वह ध्यान रखती है क्योंकि उसे यह मालूम होता है कि यह वाक्य सच्चाई है।

निलावंती उस शैतान के योजना को रोकने के लिए कई प्रयत्न करती है, लेकिन उसे किताब को सुरक्षित रखने के लिए एक साधू को मिलती है। वह साधू किताब की भाषा को सरलतम रूप में अनुवाद करके लिखते हैं, ताकि यह सबके समझ में आ सके।

 

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