Shri Ganesh Aarti : “श्री गणेश जी की आरती” भगवान गणेश को समर्पित है और उनकी महिमा की स्तुति करने वाली प्रमुख हिंदू आरतियों में से एक है। यह आरती गणेश जी की पूजा और आराधना के समय गाई जाती है और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना का माध्यम प्रदान करती है।
“श्री गणेश जी की आरती” का पाठ करने से भक्त भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से समस्त कष्टों और संकटों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। इस आरती में गणेश जी के गुणों, भक्ति, और आदरणीय स्वरूप की महिमा की जाती है और उनके प्रति भक्तों के आदरणीय भावना को प्रकट करती है।
इस आरती का पाठ अक्सर मंदिरों और भक्तों के घरों में किया जाता है, खासकर गणेश चतुर्थी और अन्य गणेश जी के पर्वों पर। “श्री गणेश जी की आरती” का पाठ करने से भक्त का मानसिक और आत्मिक स्थिति में सुधार होता है और वे गणेश जी के आशीर्वाद से अपने जीवन को धार्मिक और मानवता के मार्ग पर चलाते हैं।
“श्री गणेश जी की आरती” एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रार्थना है जो भक्तों को गणेश जी के प्रति उनकी भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करने का माध्यम प्रदान करती है और उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करती है।
श्री गणेश जी की आरती पूजा विधि:
सामग्री:
1. आरती की थाली – थाली जिस पर दीपक, दूप, कुमकुम, चावल, पुष्प, तुलसी पत्तियाँ, और बीलव पत्तियाँ होती हैं
2. दीपक – घी का दीपक और मैचिस
3. दूप – धूप की दिव्या
4. पुष्प – फूलों का माला या पुष्प
5. पूजा की थाली – अगर आप विशेष रूप से पूजा के लिए थाली रखना चाहते हैं
6. गणेश भगवान की मूर्ति – पूजा के लिए गणेश भगवान की मूर्ति या प्रतिमा
पूजा विधि:
1. पूजा स्थल का तैयारी: गणेश जी की पूजा के लिए एक साफ और शुद्ध स्थल का चयन करें। उसे सजाने के लिए एक आसन या चटाई रखें।
2. पूजा की थाली की तैयारी: आरती की थाली पर दीपक को घी से भरें और मैचिस की मदद से इसे प्रज्वलित करें। इसके बाद, धूप की दिव्या भी जलाएं।
3. गणेश भगवान की मूर्ति स्थापना: गणेश जी की मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
4. दीपक और धूप की अर्चना: पूजा की थाली पर दीपक की प्रज्वलित दिव्या को गणेश जी के सामने लेकर आर्चना करें। फिर, धूप की दिव्या को भी गणेश जी के सामने प्रज्वलित करें।
5. पुष्प और दूप की अर्चना: पुष्पों का गणेश जी के चरणों में अर्चना करें और धूप की दिव्या को भी चरणों के सामने प्रज्वलित करें।
6. मंत्रों का जाप: गणेश जी के आरती मंत्रों का जाप करें, जैसे कि “जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।” इसके बाद, आरती का पाठ करें।
7. आरती के निमित्त गाने: आरती के पाठ के बाद व्रती या व्रत समर्थकों के साथ गणेश जी की आरती गाएं और
Shri Ganesh ji ki Aarti – shri ganesh aarti lyrics
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी । माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा । लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ ‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
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