7 Temples in India where men are not allowed : भारत में कई मंदिरों में महिलाएं ही जा सकती हैं। पुरुषों को वहां घुसने पर सख्त मनाही है। ऐसे मंदिरों की चर्चा करते हैं-
1. पुरुष केरल के कोत्तानकुलांगारा मंदिर में स्त्री का मुखौटा पहनकर प्रवेश करते हैं
कोत्तानकुलांगारा मंदिर की परंपराएं केरल की राजधानी तिरुअनंतपुर में अद्वितीय हैं। पुरुष सामान्य कपड़े पहनकर इस मंदिर में नहीं घुस सकते। यहां दर्शन के लिए पुरुषों को महिलाओं की तरह कपड़े पहनने की आवश्यकता होती है। इस मंदिर में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। हर साल इस मंदिर में चाम्याविलक्कू पर्व मनाया जाता है। इस दौरान मंदिर में आने वाले पुरुषों को महिलाओं की तरह पूरा मेकअप करना होगा और महिलाओं की तरह कपड़े और गहने पहनना होगा।
2. नासिक में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर
पुरुषों को इस प्रसिद्ध मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करना वर्जित है। यहां की मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर के गर्भगृह में पहले महिलाओं को नहीं जाना था। यहां ऐसी तरंगे थीं जो महिलाओं के स्वास्थ्य को खराब कर सकती थीं। लेकिन यहां बाद में वामपंथी महिलाओं ने आंदोलन चलाया। अदालत की कार्रवाई से सदियों पुरानी परंपरा खतरे में आ गई। बाद में मंदिर ट्रस्ट ने पुरुषों को यहां घुसने पर भी प्रतिबंध लगाया।
3. तमिलनाडु का कन्याकुमारी मंदिर
तमिलनाडु में माता जगदंबा के 51 शक्तिपीठों में से एक है देवी कन्याकुमारी का मंदिर। तपस्विनी रूप में भगवती को पूजा जाता है। वह आम जीवन से दूर रहती है। यही कारण है कि इस मंदिर के गर्भगृह में विवाहित पुरुषों का प्रवेश मना है। माना जाता है कि जो भी विवाहित व्यक्ति देवी के इस रूप को देखता है, उसका विवाह समाप्त हो जाता है। इस मंदिर के गर्भगृह में कोई भी विवाहित व्यक्ति प्रवेश नहीं करता।
4. राजराजेश्वरी मंदिर मुजफ्फरपुर(बिहार)
वैसे तो उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर का राजराजेश्वरी मंदिर पूरे साल पर्यटकों के लिए खुला रहता है। लेकिन बीच में यहां पुरुषों के प्रवेश पर रोक लगा दी जाती है। उस खास समय में इसके प्रमुख पुजारी, जो पुरुष हैं, भी गर्भगृह में प्रवेश नहीं कर सकते। राज राजेश्वरी देवी यह मंदिर है। इस मंदिर को बिहार के महत्वपूर्ण शक्तिपीठों में गिना जाता है। नवरात्रि पर इस मंदिर में लाखों लोग आते हैं।
इस मंदिर में विराजमान देवी का रूप षोडशी है, जिसका अर्थ है सोलह वर्ष की कन्या। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, षोडशी देवी को दश महाविद्याओं में चौथा स्थान दिया गया है। भी उनका मंत्र 16 अक्षरों का है। इस भगवान की सोलह भुजाएं हैं। इस माता को त्रिपुर सुंदरी भी कहते हैं।
बिहार के मुजफ्फपुर मंदिर में सोने की देवी षोडशी की प्रतिमा है। षोडशी देवी को कुमारी कन्या मानते हैं। वह हर महीने चार दिन रजस्वला रहती है। पुरुष इस दौरान मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते।
5. विशाखापत्तनम का कामाख्या देवी मंदिर
विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश में स्थित है। सिर्फ महिलाओं को इस मंदिर परिसर में पूजा करने का अधिकार है। इस मंदिर की पुजारी भी महिला है। पुरुषों को इस मंदिर में प्रवेश करना वर्जित है।
6. चक्कुलालातुकावू मंदिर, केरल
इस मंदिर, जो केरल के अलापुझा जिले में है, हर साल पोंगल का खास त्योहार मनाया जाता है। इस मंदिर में लाखों महिलाएं आती हैं। नारी पूजा नामक कार्यक्रम करीब 10 दिन तक चलता है। पुरुषों का इस दौरान यहां प्रवेश विशेष तौर पर वर्जित है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में इसका नाम दर्ज किया गया है।
7. पुराना चंदौली मंदिर
120 वर्ष पुराना मंदिर बिहार से लगे हुए उत्तर प्रदेश के सकलडीहा कस्बे में है। यह एक महान संत श्रीपथ की याद में बनाया गया था। यह मंदिर कहा जाता है कि संत श्रीपथ ने बेटियों की जीत और बेटों की हार की इच्छा से बनाया था। इसलिए माना जाता है कि इस मंदिर में कोई आदमी आने से उसका भाग्य बिगड़ जाता है।
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